(खालिद दीवार फांदकर अंदर घुसा, जुराब में मोबाइल छुपाया, हॉल में फोटो खींची, बहन को भेजी और उसने प्रोफेसर तक पहुंचाया) सुनने में संभव तो लगती है, लेकिन कई बिंदुओं पर संदेह भी पैदा होते हैं:
- सुरक्षा की पोल –
- अगर गेट पर चेकिंग हो रही थी तो मोबाइल जुराब में कैसे बच गया?
- परीक्षा केंद्र की परिधि सुरक्षा में इतनी बड़ी खामी कैसे रह गई कि कोई दीवार फांदकर अंदर आ जाए?
- परीक्षा हॉल के अंदर –
- हॉल में बैठे इतने अभ्यर्थियों और पर्यवेक्षकों के बीच खालिद ने फोटो खींची और किसी ने देखा ही नहीं?
- कैमरे (CCTV) लगे होने के बावजूद कोई रिकॉर्डिंग या फुटेज सामने क्यों नहीं आई?
- जैमर और मोबाइल नेटवर्क –
- अगर जैमर एक्टिव था तो वॉशरूम जाकर ही मैसेज कैसे भेजा जा सका?
- क्या वॉशरूम क्षेत्र जैमर की रेंज से बाहर था या फिर जैमर सिर्फ दिखावे के लिए लगाए गए थे?
- लोगों की शंका –
- गिरफ्तार आरोपियों की स्टोरी को लोग “कवरअप” मान रहे हैं, क्योंकि इतना बड़ा पेपर लीक सिर्फ “पर्सनल चीटिंग” का मामला होना मुश्किल लगता है।
- कई बार ऐसे मामलों में बड़े नेटवर्क को बचाने के लिए जिम्मेदारी एक-दो व्यक्तियों पर डाल दी जाती है।
👉 कुल मिलाकर, खालिद और सबिया की गिरफ्तारी एक बड़ी कड़ी हो सकती है, लेकिन असली सवाल यह है कि क्या इसके पीछे कोई संगठित गिरोह है, जिसे अभी तक उजागर नहीं किया गया?
यह घटना न केवल UKSSSC बल्कि पूरे परीक्षा सिस्टम की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करती है।